उत्तराखंड

सुनिये भूतिया गांव की कहानी

सुनिये भूतिया गांव की कहानी

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मेटा के एआई से बनी हर तस्वीर प्यारी लगती है। एआई अगर किसी मरते हुए को भी दिखाए तो ऐसा लगता है कि क्या गजब की मौत है । भूतिया गांव की ये तस्वीर सच्चाई बयां करती है उत्तराखंड के अधिकांश पहाड़ी गांवों की। आपको जानकर हैरानी होगी कि उत्तराखंड के पहाड़ों में ऐसे लगभग दो हजार गांव हैं जिनमे एक भी इंसान नही रहता। जिन्हे सरकारी भाषा में अब भूतिया गांव और थोड़ा स्टाइलिश भाषा में Ghost Village कहा जाता है।

पलायन आयोग के मुताबिक वर्ष 2023 तक ऐसे वीरान गांवों की संख्या 1792 हो गई है जो भूतिया गांव बन चुके हैं । 2011 से 2018 तक मात्र 7 सालों में ही 734 गांव भूतिया बन चुके हैं।

 

पहला सवाल तो उनसे पूछा जाना चाहिए जिन्होंने ये गांव छोड़ दिए और जिनकी वजह से ये गांव भूतिया हो गए क्योंकि आपके इन पहाड़ी गांवों के पारिस्थितिकी तंत्र और आपके पूर्वजों द्वारा जपे गए मंत्र की ऊर्जा इन भूतिया गांवों में अभी भी मौजूद है ।

अगर आप लोग इतने असमर्थ हैं कि गांव में छल पूजाई, देवता नचाई या मुंड मुंडाई में भी नही जा पा रहे हैं तो फिर आपसे आगे का सवाल पूछना भी लाजमी नही है क्योंकि इसका अर्थ ये है कि आप लोग वास्तव में असमर्थ ही हैं तभी तो नहीं जा पा रहे होंगे ??

 

कुछ तो मजबूरी होगी ए पहाड़!! वर्ना ये गांव यूं ही भूतिया नही होते !!

 

और अगर ये सच है कि इन गांवों के लोगों ने भले ही गांव छोड़ दिया हो बाबजूद इसके ये लोग छल पूजाई, देवता नचाई और मुंड मुंडाई में गांव जरूर जाते हैं तो अब सवाल सरकार से पूछा जाना चाहिए कि जब लोग अपने दैविक और पैतृक कार्यों के लिए गांव जा रहे हैं तो वो अधिकारी कौन है जिसने इन गांवों को घोस्ट विलेज का नाम दिया ?? ऐसे अधिकारी की ढूंढ खोज की जानी जरूरी है ।

 

चलिए जो हुआ सो हुआ …..!!!

 

अब घोस्ट विलेज को टूरिज्म से जोड़ा जाना चाहिए और देश विदेश के घुमक्कड़ों को इन भूतिया गांवों में लोकल भूतों का इंटरव्यू लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए !! लोकल भूतों की कहानियों का साहित्य प्रकाशित किया जाना चाहिए जिनमे लोकल भूतों की सत्य कथाओं , दंतकथाओं , बीड़ी मांगने वाले और उल्टे पैर वाले भूतों के रिपोर्ताज , अमावस्या की रात खेतों में जलती आग वाली प्रेतनी की कथाएं शामिल हों ताकि देश दुनिया के ग्लोबल घुमक्कड़ ,पहाड़ के इन भूतिया गांवों में भूतों से सीधा साक्षात्कार कर पाएं और अपने ब्लॉग बनाएं!! वर्षों से इन भूतिया गांवों में बुत बने बैठे भूतों के पुनर्जागरण के लिए इन घोस्ट विलेज में घुमक्कड़ों का आगमन ही इन गांवों का उचित मार्ग प्रशस्त करेगा।

धनंजय ढौडियाल (पहाड़ी)

संपादक, संपर्क - 7351010542

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