उत्तराखंड

चारधाम ऑलवेदर रोड परियोजना से अब सरहद तक सेना की पहुंच होगी आसान, पर्यटन कारोबार को मिलेगी मजबूती, आर्थिकी का मजबूत आधार भी बनेगी, रोड कनेक्टिविटी से आर्थिक गतिविधियों में आयेगी तेजी

देहरादून। प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट चारधाम ऑलवेदर रोड परियोजना के पूर्ण होने पर सरहद तक सेना की पहुंच आसान हो सकेगी। करीब 12 हजार करोड़ की इस योजना से उत्तराखंड की आर्थिकी के मुख्य आधार पर्यटन कारोबार को मजबूती मिलेगी। पर्यावरणीय कारणों से चारधाम ऑलवेदर रोड परियोजना के एक हिस्से पर काम ठप था। मामला न्यायालय में होने के कारण परियोजना के पूरे होने पर प्रश्न चिह्न लग गया था। यह सवाल गहरा रहा था कि प्रोजेक्ट अपने वास्तविक स्वरूप में धरातल पर उतर पाएगा कि नहीं। सीमांत जिले उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ तक फैली सरहद तक सड़क पहुंचाने के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने भी अदालत में अपना पक्ष रखा। न्यायालय ने राष्ट्रीय सुरक्षा को महत्व देते हुए परियोजना के निर्माण को हरी झंडी दिखा दी।

अब उत्तरकाशी में धरासू बैंड से यमुनोत्री तक मार्ग बनाने का काम पूरा हो सकेगा। सामरिक महत्व के सभी बाईपास भी बनाए जा सकेंगे। इससे आपात स्थिति में भारतीय सेना का सैन्य साजो-सामान के साथ सीमा पर पहुंचना ज्यादा सहज हो सकेगा। चारधाम मार्ग का दूसरा बड़ा फायदा उत्तराखंड राज्य के पर्यटन कारोबार को होगा। राज्य के लिए ऑलवेदर रोड परियोजना जीवन रेखा की तरह है। मार्ग के चौड़ीकरण से इस पर यात्रा करना न केवल ज्यादा सुरक्षित एवं सुविधाजनक हुआ है, बल्कि समय की भी बचत हुई है। राज्य सरकार ऑलवेदर रोड से जुड़ने वाले तकरीबन सभी स्टेट हाईवे व मोटरमार्गों को डबल लेन बना रही है, ताकि आसपास के गांवों की रोड कनेक्टिविटी मजबूत हो, सहज आवागमन से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ सके। सुबोध उनियाल, शासकीय प्रवक्ता, उत्तराखंड सरकार ने कहा सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य है। सामरिक महत्व की दृष्टि से चारधाम ऑलवेदर रोड परियोजना का निर्माण आवश्यक है। इससे सीमांत इलाकों में रहने वाली आबादी तक सुविधाओं की पहुंच आसान होगी, तो लोग पलायन नहीं करेंगे। पर्यटन के लिहाज से ऑलवेदर रोड रोजगार के नए द्वार खोलेगा।

चारधाम ऑलवेदर सड़क परियोजना के निर्माण से तीन बड़े फायदे होंगे। पहला सीमांत इलाकों तक सेना साजो-सामान के साथ आसानी से आवागमन कर सकेगी। दूसरा सीमांत गांवों में बसी आबादी तक संसाधन और सुविधाओं को पहुंचाना सुगम होगा और पलायन रोकने में मदद मिलेगी। तीसरा परियोजना के बनने से पर्यटन कारोबार को मजबूती मिलेगी। रोजगार की नई संभावनाएं पैदा होंगी।

धनंजय ढौडियाल (पहाड़ी)

संपादक, संपर्क - 7351010542

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