उत्तराखंड

प्रेरणा : सरकार की योजना से सोना उगलने लगे सरतोली के बंजर खेत

देहरादूनः त्रिवेन्द्र सरकार की योजना और युवाओं के जज्बे की जुगलबंदी जमीन पर अपना रंग दिखाने लगी है। वर्षों से बंजर पड़े खेत सोना उगलने लगे हैं। जिन खेतों में वर्षों से कंटीली झाड़ियां उगी हुई थीं वहां अब नगदी फसल और सब्जियों की पैदावार लहलहा रही है। बदहाली के लिए सरकार व किस्मत को कोसने वालों की जमात इस चमत्कार से अब हैरान सी है। लेकिन सरकारी योजना और लाभार्थी की इच्छा शक्ति के नतीजे जो आज सबके सामने हैं, उन्हें कोई झुठला नहीं सकता। जी हां, ऐसी सफल कोशिश चमोली जनपद के सरतोली गांव के महेंद्र सिंह ने की है। जो आज पूरे क्षेत्र में युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन गए हैं।

पलायन से उजड़ते गांवों के अपने चलन के अनुरूप ही सरतोली के महेंद्र सिंह ने भी पढ़ाई लिखाई के बाद गांव से पलायन कर दिया। शहर में एक मैनेजमेंट कंपनी में थे। लेकिन मन में गांव के लिए कुछ करने की एक टीस थी, जो उन्हें रह रह कर परेशान करती। वह बताते हैं कि गांव में लोग खेती तो करते हैं लेकिन नई तकनीकी व समय की जरूरत के हिसाब से नहीं चलते। महेंद्र बताते हैं कि उन्होंने इसी दौरान एक सहकारी मेले में हिस्सा लिया। वहाँ पंडित दीन दयाल, जिला सहकारी बैंक स्कीम के बारे में पता चला कि यह उनकी तकदीर बदल सकती है। साहस दिखा कर उन्होंने चमोली जिला सहकारी बैंक से लोन लिया और सब्जियों के उत्पादन का काम शुरू किया। लोन लेने में चमोली जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष गजेन्द्र सिंह ने उसकी पूरी सहायता की। वह सब्जियों का उत्पादन कर अब तक 60-70 हजार रुपए प्रतिमाह का लाभ अर्जित करने लगे हैं।

महेन्द्र बताते हैं कि गांव में उनके पास कुछ हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है। यहां जो लोग खेतों में मेहनत भी करते हैं उन्हें मुश्किल से वर्ष भर गुजारा करने लायक ही अनाज मिल पाता था। मैंने यहीं कुछ कर गुजरने का जज्बा लेकर मैनजमेंट क्षेत्र में 14 साल की नौकरी छोड़ दी और कृषि बागवानी की दिशा में काम करने के लिए मैं गांव वापस आ गया। बंजर खेतों में महेन्द्र टमाटर, गोभी, ब्रोकली, प्याज, मटर का उत्पादन कर रहे हैं। जो उनकी अच्छी कमाई का अच्छा जरिया बन चुका है। गांव के लोग उनसे प्रेरणा ले रहे हैं। महेंद्र ने साबित कर दिया है कि कुछ करने का जज्बा हो और सरकार की योजना का ला मिले तो गांव के वो खेत भी सोना उगल सकते हैं जिन्हें अलाभकारी कर कहकर लोगों ने बंजर छोडा हुआ है

धनंजय ढौडियाल (पहाड़ी)

संपादक, संपर्क - 7351010542

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