उत्तराखंड

उत्तराखंड में बांस, भीमल, पिरुल, रिंगाल का चमकेगा कारोबार, बड़े शहरों में खुलेंगे हस्तशिल्प उत्पादों के इम्पोरियम

देहरादून । उत्तराखंड में बांस, भीमल, पिरुल, रिंगाल से बने हस्तशिल्प उत्पादों का अब कारोबार चमकेगा। इसके लिए सरकार बड़े शहरों में हथकरघा व हस्तशिल्प उत्पादों के इम्पोरियम खोलेगी। जबकि हस्तशिल्प उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग के लिए पेशेवर डिजाइनरों की मदद ली जाएगी। ऊन से बने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में ऊन कलस्टर बनाए जाएंगे। सरकार ने हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास के लिए एक करोड़ की मंजूरी दी है।

 

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह की अध्यक्षता में सचिवालय में उत्तराखंड हथकरघा एवं हस्त शिल्प विकास परिषद की नौवीं बोर्ड बैठक हुई। जिसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य के हस्तशिल्प एवं अन्य उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग के लिए पेशेवर डिजाइनरों की सेवाएं ली जाए। बड़े शहरों में हस्तशिल्प उत्पादों के इम्पोरियम खोले जाएंगे।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के हस्तशिल्प उत्पादों को अलग पहचान मिले। इसके लिए उत्पादों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। बांस, भीमल, रिंगाल व पिरुल से बने उत्पादों को बढ़ावा दिया जाएगा। वन पंचायतों के माध्यम से रिंगाल उत्पादन पर कार्य किया जाए। बैठक में मुख्यमंत्री ने हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास के लिए एक करोड़ की अतिरिक्त धनराशि देने की मंजूरी दी। परिषद को यह धनराशि रिवॉल्विंग फंड के रूप में उपलब्ध होगी।

 

सचिव उद्योग सचिन कुर्वे ने कहा कि राज्य के ऐपण काष्ठ कला, ऊन उत्पाद, प्राकृतिक रेशा से विभिन्न उत्पादों के लिए दून विश्वविद्यालय के माध्यम से सर्वे व अध्ययन की योजना बनाई गई है। मानव संसाधन विकास योजना के तहत कलात्मक कार्पेट का चार माह का प्रशिक्षण ऊधमसिंह नगर में, काष्ठ शिल्प प्रशिक्षण श्रीनगर व ऊन क्राफ्ट का तकनीकी प्रशिक्षण धारचूला, मुन्स्यारी व नाकुरी (उत्तरकाशी) में दिया गया।

 

एकीकृत हस्तशिल्प विकास एवं प्रोत्साहन योजना के तहत चयनित 15 विकास खंडों के सुविधा केंद्रों में जूट, काष्ठ, रिंगाल, ऐपण, वूलन, ताम्र, कार्पेट, ब्लॉक प्रिंटिंग से संबंधित मशीन एवं उपकरणों की व्यवस्था की जा रही है। उत्तरकाशी के श्रीकोट, पुरोला में काष्ठ शिल्प, हल्द्वानी में एपण एवं जूट, घिंघराण चमोली में वूलन तथा पीपलकोटी में काष्ठ एवं रिगाल के ग्रोथ सेंटर स्वीकृत किए गए।

 

बैठक में परिषद के उपाध्यक्ष रोशन लाल सेमवाल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी बांस एवं रेशा विकास परिषद मनोज चंद्रन, निदेशक उद्योग व मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधीर नौटियाल आदि मौजूद थे।

धनंजय ढौडियाल (पहाड़ी)

संपादक, संपर्क - 7351010542

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