*उत्तराखंड राज्य आंदोलन के प्रणेता व पहाड़ के गाँधी स्वo इंद्रमणि बड़ोनी जी की 24 वीं पुण्यतिथि पर उक्रांद ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि*
*उत्तराखंड राज्य आंदोलन के प्रणेता व पहाड़ के गाँधी स्वo इंद्रमणि बड़ोनी जी की 24 वीं पुण्यतिथि पर उक्रांद ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि*
उत्तराखंड राज्य आंदोलन के प्रणेता व पहाड़ के गाँधी स्वo इंद्रमणि बड़ोनी की 24 वीं पुण्यतिथि पर दल की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि दी गयी।
बड़ोनी की मूर्ति पर दल के संरक्षक त्रिवेंद्र सिंह पंवार के नेतृत्व में दल के सभी कार्यकर्ताओं के साथ माला पहना कर व पुष्प भेंट कर जननायक को याद किया।
तत्पश्चात पार्टी कार्यालय 10 कचहरी रोड़ देहरादून में कालजयी पुरुष को श्रद्धांजलि देते हुए याद किया गया। इस अवसर पर स्वo बड़ोनी को याद करते हुए त्रिवेंद्र सिंह पंवार ने कहा हैं कि स्वo बड़ोनी एक सरल, सहज़ स्वभाव के रहे
उनके व्यक्तित्व का आकर्षण इतना प्रभावशाली था कि विरोधी भी उनके अपने हो जाते थे, सन 1967 में टिहरी जनपद के देव प्रयाग विधानसभा से विधायक चुने गये। सन 1969 में दोबारा कांग्रेस से विधायक चुने गये तथा 1977 में पुनः निर्दलीय विधायक देवप्रयाग से चुने गये। उत्तर प्रदेश की विधानसभा में जन मुद्दों को लेकर हमेशा सजग रहे। उनके उठाये गये मुद्दे केवल देवप्रयाग विधानसभा ही नहीं बल्कि उत्तराखंड के अन्य
विधानसभा क्षेत्रों के जन मुद्दों भी सरकार से सवाल करते आये। एस पी जुयाल ने कहा कि 1977 में जब उत्तर प्रदेश में बनारसी दास गुप्ता की सरकार में खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के उपाध्यक्ष रहे। सन 1980 में स्वo इंद्रमणि बड़ोनी व स्वo विपिन चंद्र त्रिपाठी ने त्रिवेंद्र सिंह पंवार के प्रयासों से उत्तराखंड क्रांति दल में शामिल हुए।
सुनील ध्यानी ने कहा कि स्वo बड़ोनी उत्तराखंड राज्य प्राप्ति आंदोलन के संघर्ष को चरम पर पहुंचाया। नशा नहीं- रोजगार दो, वन अधिनियम के कारण विकास योजनाए जो ठप पड गयी थी, बड़ोनी के नेतृत्व में विकास कार्य में बाधक जंगल में पेड़ो को काटा गया
साथ ही जितने पेड़ काटे गये उनके दस गुणा पेड़ भी लगाये गये। राज्य संघर्ष आंदोलन को गाँधीवादि नीतियों के तहत अहिंसक आंदोलन जो 1994 में जन आंदोलन का वृहत रूप धारण किया।
इसीलिए उनको पहाड़ का गाँधी कहा गया। सन 1999 में 18 अगस्त को कालजयी पुरुष संसार से विदा हुए उनके मुँह से आखिरी शब्द उत्तराखंड निकला