उत्तराखंड

भोटिया कुत्ता शब्द पर एतराज…सीएम को पत्र लिख बताई पीड़ा, बोले- अपमान होता है महसूस

भोटिया कुत्ता शब्द पर एतराज…सीएम को पत्र लिख बताई पीड़ा, बोले- अपमान होता है महसूस

उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों के भोटिया जनजाति के लोगों ने सीएम धामी को पत्र लिख कर,भोटिया कुत्ता’ शब्द पर प्रतिबंध लगाने की मांग की

उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों के प्रथम गांवों में रहने वाले भोटिया जनजाति के लोगों ने सरकार से ‘भोटिया कुत्ता’ शब्द पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उनका कहना है कि इस शब्द से जनजाति विशेष की भावनाएं आहत होती हैं। कुछ लोग इस शब्द का प्रयोग जनजाति विशेष के लोगों का अपमान करने के लिए भी करते हैं।

इस संबंध में राष्ट्रीय पंचायती राज संगठन ने शासन के साथ ही राज्य जनजाति आयोग को पत्र लिखा है। उत्तराखंड के सीमांत क्षेत्रों में थारू, बुक्सा, भोटिया, जौनसारी और राजी पांच जनजातियां निवास करती हैं। इनमें एक जनजाति भोटिया समुदाय से है। भोटिया जनजाति भारत के नेपाल- तिब्बत सीमा पर निवास करती है।

पूर्व में जब सीमा पर भारत और तिब्बत के बीच व्यापार होता था, इसमें भोटिया जनजाति के लोग प्रमुख तौर पर शामिल होते थे। भोटिया जनजाति के लोग हजारों की संख्या में भेड़- बकरियां पालते थे, जो उनके जीवन यापन का मुख्य साधन था।
इन्हीं भेड़ों- बकरियों की बाघ, भालू और अन्य जंगली जानवरों से सुरक्षा के उद्देश्य से बड़े आकार का कुत्ता पाला जाता था, जो उच्च हिमालयी क्षेत्रों में रात दिन भेड़ बकरियों के साथ रहता था। यह कुत्ता भेड़-बकरियों ही नहीं भोटिया समुदाय के घर, सामान और उनकी रक्षा भी करता था। लेकिन बाद में लोगों ने इस कुत्ते को भी भोटिया कुत्ता कहना शुरू कर दिया।

बुलातेबागेश्वर में उत्तरायणी मेले में इस कुत्ते के बच्चे को बड़े पैमाने पर भोटिया कुत्ता कहकर बेचा जाता है। लोग जोर-जोर से भोटिया कुत्ते का बच्चा बोलकर ग्राहक बुलाते हैं। राष्ट्रीय पंचायती राज संगठन के अध्यक्ष गंगा सिंह पांगती ने कहा कि उन्होंने मुख्य सचिव, राज्य जनजाति आयोग, जिलाधिकारी बागेश्वर और पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर इस शब्द पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। सरकार को तुरंत इसका संज्ञान लेना चाहिए।

सतपाल महाराज, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री
यदि इस शब्द से किसी की भावनाएं आहत होती हैं, तो तत्काल प्रभाव से इस शब्द पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। विशेष प्रजाति के इस कुत्ते को हिमालयन शिप डॉग भी कहा जाता है, इसे इसी नाम से पुकारा जाना चाहिए। कानूनी रूप से इसमें क्या हो सकता है, इसे दिखवाया जाएगा।

एसएस पांगती, पूर्व आईएएस
वर्ष 1901 से पहले के तमाम ग्रंथों में इस बात का उल्लेख है तिब्बती लोगों को भोट या भोटिया कहा जाता था। यह कुत्ता भी इन्हीं लोगों के साथ तिब्बत से भारत पहुंचा था। जब किसी की भावनाएं आहत होती है, तब तो इस शब्द का बिल्कुल भी उच्चारण नहीं किया जाना चाकिए।

धनंजय ढौडियाल (पहाड़ी)

संपादक, संपर्क - 7351010542

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *